सिलसिला
"Your story may not have such a happy beginning, but that doesn’t make you who you are, it is the rest of your story, who you choose to be"
रविवार, 3 जुलाई 2011
कोई मुझे बता दे!
शायद भूल गया हूँ अपने आप को,
कौन हूँ मैं, क्या हूँ,
कोई मुझे बता दे,
घुट घुट कर ये कड़वा प्याला,
न जाने क्यूँ पी रहा हूँ,
कोई मुझे बता दे!
तोड़ दूँ ये बंधन,
जो बांधे हुए है मुझे,
बढ़ चलूँ आगे,
कैसे छोड़ दूँ यह परछाईयॉ,
कोई मुझे बता दे!
अमरतत्व को प्राप्त करने चला था,
भटककर शायद जहर पी लिया,
खुशी से अपना दामन भरने चला था,
न जाने क्यूँ कड़वा प्याला पी लिया,
कैसे छोड़ दूँ इस संसार को,
कोई मुझे बता दे,
पकड़ा था उजाले का दामन ,
यह काला अॅधेरा कैसे हो गया,
कैसे निकलूं बाहर,
कोई मुझे बता दे,
आस है मुझे भरोसा है मुझे,
निकलूंगा बाहर फिर से,
चमकूँगा फिर से,
हौसले मेरे बुलंद हैं,
आजमा के देख ले,
तू कितना ही सताये मुझे,
तू कितना ही डराये मुझे,
जिंदगी हँस के अपनी शर्तों पे जिऊंगा,
यह है विश्वास मुझे,
क्यूँ न निकलूं मैं इससे बाहर,
कोई मुझे बता दे!
कौन हूँ मैं, क्या हूँ,
कोई मुझे बता दे,
घुट घुट कर ये कड़वा प्याला,
न जाने क्यूँ पी रहा हूँ,
कोई मुझे बता दे!
तोड़ दूँ ये बंधन,
जो बांधे हुए है मुझे,
बढ़ चलूँ आगे,
कैसे छोड़ दूँ यह परछाईयॉ,
कोई मुझे बता दे!
अमरतत्व को प्राप्त करने चला था,
भटककर शायद जहर पी लिया,
खुशी से अपना दामन भरने चला था,
न जाने क्यूँ कड़वा प्याला पी लिया,
कैसे छोड़ दूँ इस संसार को,
कोई मुझे बता दे,
पकड़ा था उजाले का दामन ,
यह काला अॅधेरा कैसे हो गया,
कैसे निकलूं बाहर,
कोई मुझे बता दे,
आस है मुझे भरोसा है मुझे,
निकलूंगा बाहर फिर से,
चमकूँगा फिर से,
हौसले मेरे बुलंद हैं,
आजमा के देख ले,
तू कितना ही सताये मुझे,
तू कितना ही डराये मुझे,
जिंदगी हँस के अपनी शर्तों पे जिऊंगा,
यह है विश्वास मुझे,
क्यूँ न निकलूं मैं इससे बाहर,
कोई मुझे बता दे!
सोमवार, 18 अगस्त 2008
गम के आंसूं
मैंने गम के गहरे समंदर से बहार आना सीख लिया,
तेरी बेवफाई को तेरी मज़बूरी समझ,
इन बहते आसुओं को रोकना सीख लिया।
इससे पहले की तेरी यादें मुझे बाँध पाती
मैंने उन्हें भी तोड़ना सीख लिया।
तेरी बेवफाई ने हमको फौलाद बना दिया,
तुने हमें गम के सिवा और क्या दिया।
तेरे लिए दुनिया से लड़ा, घुट घुट कर जिया,
तुने उसका ये सिला दिया।
अब नही बहेंगे मेरे आंसूं , ये मैंने सोच लिया,
जा तेरी यादों को मैंने अपने दिल से निकल दिया।
बुधवार, 7 मई 2008
कौन है तू??
पता नही कौन है तू...
मैं जानता नही तुझे,पहचानता नही तुझे
फिर भी तुझे हर पल याद करता हूँ,
मेरी निगाहें हर पल तेरा इंतजार करती हैं,
तुझे देखना चाहती हैं,
मेरी हर साँस तुझे महसूस करना चाहती है,
मैं नही जनता कौन है तू......
तेरे लिए मेरी धड़कनें बेचन हैं,
तुझे बाँहों मैं लेने को मेरी बाहें बेताब हैं,
क्या करूँ लगता है तू हर पल मेरे पास है,यहीं कहीं है तू,
तुझे मैं अपनी तन्हाईयों मैं महसूस करता हूँ,
ऐसा लगता है तेरा मेरा रिश्ता कई जन्मों का है,
ऊपर वाले ने तुझे मेरे लिए ही बनाया है,
लेकिन फिर भी ऐसा लगता है की न जाने कौन है तू,
मैं नही जानता कौन है तू.......
इसी आस मैं की एक दिन तू मुझे जरुर पुकारेगी,बैठा
हूँ मैं तेरे इंतजार मैं...........
पर मैं नही जानता कौन है तू....कौन है तू.....
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