रविवार, 3 जुलाई 2011

कोई मुझे बता दे!

शायद भूल गया हूँ अपने आप को,
कौन हूँ मैं, क्या हूँ,
कोई मुझे बता दे,
घुट घुट कर ये कड़वा प्याला,
न जाने क्यूँ पी रहा हूँ,
कोई मुझे बता दे!

तोड़ दूँ ये बंधन,
जो बांधे हुए है मुझे,
बढ़ चलूँ आगे,
कैसे छोड़ दूँ यह परछाईयॉ,
कोई मुझे बता दे!


अमरतत्व को प्राप्त करने चला था,
भटककर शायद जहर पी लिया,
खुशी से अपना दामन भरने चला था,
न जाने क्यूँ कड़वा प्याला पी लिया,
कैसे छोड़ दूँ इस संसार को,
कोई मुझे बता दे,

पकड़ा था उजाले का दामन ,
यह काला अॅधेरा कैसे हो गया,
कैसे निकलूं बाहर,
कोई मुझे बता दे,

आस है मुझे भरोसा है मुझे,
निकलूंगा बाहर फिर से,
चमकूँगा फिर से,
हौसले मेरे बुलंद हैं,
आजमा के देख ले,
तू कितना ही सताये मुझे,
तू कितना ही डराये मुझे,
जिंदगी हँस के अपनी शर्तों पे जिऊंगा,
यह है विश्वास मुझे,
क्यूँ न निकलूं मैं इससे बाहर,
कोई मुझे बता दे!

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